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काव्यांजलि उपन्यास

डॉ. राजीव श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2024
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 17179
आईएसबीएन :9781613017890

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आधुनिक समाज को प्रतिविम्बित करती अनुपम कृति

अपराह्न तीन बजे माधुरी दोनों पुत्रियों को लेते हुये घर पहुँची। कमला देवी, जो कि शीतकालीन पुष्पों का आनन्द लेते हुये बाहर लॉन में पड़े झूले पर सो गयीं थीं, कार के हार्न से उठ गयीं और हँसतेहुये दोनों पोतियों को चिपकाकर प्यार करने लगीं। और बोलीं, "मेरी बच्चियों तुम दोनों में तो मेरी जान बसती है। तुम दोनों तो इस घर की रोशनी हो। जहाँ भी जाओगी उस घर को उजाले और सम्पन्नता से भर दोगी।"

काव्या, "दादी आप तो सुबह पूजा करती रहती हैं हम दोनों ही आपको मिस करते हैं।"

कमला देवी, "चलो बच्चियों खाना खा लिया जाये। राम सुमेर काफी देर से गरम-गरम रोटियाँ खिलाने केलिये प्रतीक्षा कर रहा है।"

सबने साथ भोजन किया और विश्राम करने लगे। कमला देवी रामचरित मानस पढ़ने लगीं। ठीक 5 बजे विनोद कोर्ट से आ गये और सबने एक साथ चाय पी।

विनोद, "माँ आपका दिन कैसा बीता।"

कमला देवी, "बेटा मैं तो घर में ही रहती हूँ, माधुरी व बच्चों से पूछो।"

विनोद, "मधु तुम्हारी मीटिंग कैसी रही? काव्या और दीपा तुम लोगों की पढ़ाई कैसी चल रही है?

माधुरी, "मेरी मीटिंग सदैव की भांति अच्छी रही। अगले माह समिति का चुनाव है।"

काव्या, "पापा Our studies are going well. हमारा जन्मदिन 5 दिसंबर को है । कैसे celebrate करेंगे?

विनोद, "अरे मैं तो भूल ही गया था, इस बार तुम 8 वर्ष व दीपा 7 वर्ष की हो जाओगी। सदैव की भांति धूम-धाम से मनायेंगे।"

दीपा खुश होते हुये बोली, "पापा आपके मेहमानों के अतिरिक्त मेरे क्लोज फ्रेन्ड्स आयेंगे और स्कूल में भी गिफ्ट देंगे।"

काव्या व दीपा थोड़ी देर तक खेलती रहीं फिर होम वर्क करने बैठ गयीं। माधुरी ने उनको थोड़ी देर पढ़ाया। 8.30 पर विनोद आ गये।

विनोद, "मधु मैं काफी थक गया हूँ अब खाना खा कर सोऊँगा।"

माधुरी, "राम सुमेर सबका खाना लगाओ।"

राम सुमेर, "जी मेम साहब बस लगा रहा हूँ।"

सभी ने साथ-साथ भोजन किया और सोने चले गये। जाते समय माधुरी ने कहा, "राम सुमेर हम लोग सोने जा रहे हैं, तुम जाते समय अंदर से सब बंद कर पीछे के दरवाजे में ताला लगाकर चले जाना और पीछे से ही सुबह आकर समय से काम करना।"

राम सुमेर, "जी मेम साहब।"

सभी लोग सोने चले गये।

 

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